जयपुर की फेमस एमआई रोड, जिसका नामकरण मिर्जा इस्माइल के नाम पर हुआ, अब एक बार फिर चर्चा में है। बीजेपी विधायक ने इसका नाम बदलने की मांग की है। आइए, जानें मिर्जा इस्माइल की ऐतिहासिक भूमिका और उनकी असाधारण विरासत।
मिर्जा इस्माइल: एक दूरदर्शी प्रशासक 24 अक्टूबर 1883 को बेंगलुरु में जन्मे मिर्जा इस्माइल भारतीय राजनेता और प्रशासक थे। उन्होंने मैसूर, जयपुर और हैदराबाद जैसे राज्यों के दीवान के रूप में कार्य किया। बेंगलुरु में टाउन हॉल, लालबाग गार्डन और कई प्रतिष्ठित संस्थानों के निर्माण में उनका अहम योगदान था। मिर्जा इस्माइल ने जयपुर को भी अपनी विकास योजनाओं से समृद्ध बनाया।
जयपुर में योगदान 1942 में मिर्जा इस्माइल जयपुर के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने चारदीवारी वाले शहर को आधुनिकता से जोड़ा। एमआई रोड, जिसे जयपुर का दिल कहा जाता है, उनके विकास कार्यों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह सड़क चारदीवारी को रेलवे स्टेशन और अन्य प्रमुख स्थलों से जोड़ती है।
नामकरण की दिलचस्प कहानी सड़क निर्माण के बाद मिर्जा ने इसका नाम ‘सवाई मान सिंह हाईवे’ रखने का सुझाव दिया। पर महाराजा मान सिंह ने मिर्जा इस्माइल के योगदान को देखते हुए इसका नाम उनके नाम पर रखने का निर्णय लिया।
एक प्रेरणादायक जीवन मिर्जा इस्माइल को 1930 में ब्रिटिश सरकार ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया। उनका मानना था कि सत्ता का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए होना चाहिए। 5 जनवरी 1959 को 75 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष मिर्जा इस्माइल न केवल जयपुर बल्कि पूरे भारत में अपनी प्रशासनिक योग्यता और दूरदर्शिता के लिए याद किए जाते हैं। एमआई रोड उनके द्वारा किए गए कार्यों का प्रतीक है और इसे संरक्षित रखना उनके योगदान का सम्मान होगा।